असदुद्दीन ओवैसी आर•एस•एस• के एजेंट हैं।
बदरुद्दीन अजमल कांग्रेस के दलाल हैं।
डा.अय्यूब बीजेपी के हाथ बिके हैं।
आमिर रशादी सौदे की तलाश में हैं।
लेकिन,
राहुल गांधी मसीहा-ए-क़ौम हैं।
मुलायम सिंह रफीकुल मुल्क हैं।
अखिलेश यादव मुस्लिम परस्त हैं।
मायावाती मुसलमानों की गॉडमदर है।
वाह मुसलमानों क्या सोच है तुम्हारी??
70 साल की तबाही, कमोबेश 70 हज़ार दंगें। कई लाख मुसलमान सलाखों के पीछे, कई लाख औरतें बेवा, बच्चे यतीम और बच्चियों की लूटी गई असमतें, मुसलमानों के बुनियादी हुकूक की लूट के बाद परसनल लॉ और पोशाक व दाढ़ी तक पर पाबंदी। बाबरी से दादरी तक, हाशिमपुरा से मुज़फ्फरनगर तक, गवर्नरी और नवाबी से रिक्शे और अंडे की दुकान तक,
70 साल से सेक्युलरिज़्म का पट्टा गले में डाल कर तुम्हारे जिंदाबाद मुर्दाबाद करने के नतीजे में जिन्होंने ये सब कुछ तुम्हें सौग़ात में दिया है, वो तो तुम्हारे मसीहा, लीडर और क़ाईद हैं।
लेकिन वो लोग जो तुम्हारी अपनी कम्युनिटी से उठ कर सामने आकर तुम्हारे मुद्दों पर बात करते हैं, आवाज़ उठाते हैं, सड़क से संसद व अदालत तक की जंग लड़ते हैं, वो तुम्हारी नज़रों में दलाल और एजेंट हैं।
अफ़सोस है एैसी क़ौम पर, और एैसी सोच पर।
अपनी नीति और सोच को बदलो वरना याद रखना तुम धीरे-धीरे शूद्रों से भी बदतर बना दिये जाओगे।
ना समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दी मुसलमानों
तुम्हारी दास्ताँ तक भी ना होगी दास्ताँनों में
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